Dhatu Rog Me Apnayen Ye Prakritik Upay धातु रोग में अपनाएं ये प्राकृतिक उपाय
Dhatu Rog Me Apnayen Ye Prakritik Upay
धातु रोग-
हिकमत में इसको जरयान, डाॅक्टरी में स्परमेटोरिया कहते हैं। वीर्य प्रमेह के निम्नलिखित प्रकार होते हैं:-
1. वीर्य प्रमेह, धातु बहना, स्परमेटोरिया(Spermatorrhoea)।
2. प्राॅस्टेटोरिया(Prostatorrhoea)- इस रोग में मूत्र-मार्ग से सफेद तरल निकलता है।
3. यूरेथ्रोरिया(Urethrorrhoea)- मूत्र-मार्ग से गंदा तरल आना।
परिभाषा- मैथुन की इच्छा के बिना मल-मूत्र त्याग करते समय या बिना इच्छा के वीर्य अंडे की सफेदी जैसा या लेसदार तरल आने को वीर्य प्रमेह यानी धातु रोग कहते हैं।
Spermatorrhoea Treatment in Hindi
धातु रोग के कारण-
1. गंदे विचार
2. उत्तेजक और गर्म वस्तुओं का अधिक प्रयोग
3. वीर्य में गर्मी की अधिकता
4. वीर्य का पतलापन
5. वीर्य की अधिकता
6. वीर्य की थैलियों में ऐंठन
7. हस्तमैथुन
8. मैथुन की अधिकता
9. विभिन्न स्त्रियों से सम्भोग करना
10. सुजाक
11. घोड़े या साइकिल की सवारी करना
12. स्वप्नदोष की अधिकता
13. पेट में कीड़े
14. दीर्घकाल तक सम्भोग न करना
15. वृक्कों की कमजोरी
16. कब्ज़
17. मैथुन इच्छा की अधिकता
18. सुषुम्ना में खराश
19. बवासीर
20. लिंग की अच्छे से सफाई न करना
21. मूत्राशय और मूत्र-मार्ग की खराश
इन सबके अतिरिक्त तमाम बातें, जिनसे कामेच्छा की अधिकता हो व फुंगस संक्रमण भी धातु रोग का कारण होता है।
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धातु रोग के लक्षण-
1. मल-मूत्र त्याग करते समय या वैसे ही वीर्य की कुछ बूंदें मूत्रमार्ग से बाहर निकलती रहती हैं।
2. रोगी दुर्बल हो जाता है।
3. सुस्ती, कमजोरी और साहसहीनता हो जाती है।
4. कमर में दर्द रहना।
5. सिर चकराना।
6. सिर में दर्द बने रहना।
7. मानसिक दुबर्लता और स्नायु दुर्बलता आदि कष्ट हो जाते हैं।
8. रोगी चिंतित रहता है।
9. जब रोग बढ़ जाता है, तो शीघ्रपतन रोग भी हो जाता है और मैथुन मंे आनंद नहीं आता है।
10. आंखों के नीचे काले-काले गड्ढे पड़ जाते हैं।
11. पाचन क्रिया बिगड़ जाती है।
12. विचार एक विषय पर नहीं जमते।
13. रोगी डरपोक और निराशावादी हो जाता है और मर्दाना शक्ति कम होने लगती है।
धातु रोग की रामबाण औषधियां-
Spermatorrhoea Treatment in Hindi
1. तालमखाना के बीज, छोटा गोखरू, हरे माजूफल, पीपल की लाख, काले बीजबन्द, सुपारी के फूल, धाय के फूल प्रत्येक 6 ग्राम, अजवायन खुरासानी, तज कलमी, मस्तगी प्रत्येक 3 ग्राम, सालबमिश्री, मौलसरी की जड़ की छाल प्रत्येक 12 ग्राम। इन सब दवाओं का मैदा की भांति चूर्ण बनायें। फिर बढ़िया बंग भस्म, त्रिधातु(त्रिबंग) भस्म प्रत्येक 12 ग्राम, मुर्गी अण्डात्वक भस्म 6 ग्राम और कुल दवाओं के बराबर चीनी मिलाकर रख लें। यह चूर्ण 6 ग्राम प्रातः सायं गाय के दूध के साथ खिलायें।
गुण- यह चूर्ण वीर्य प्रमेह, प्राॅस्टेटोरिया, यूरेथ्रोरिया, वीर्य के पतलेपन, स्वप्नदोष की अधिकता और शीघ्रपतन के लिए अनुपम भेंट है। वर्षों पुराने रोग भी इसके प्रयोग से दूर हो जाते हैं।
2. आंवला बिना गुठली, हल्दी, शुद्ध रसोंत, असली शिलाजीत प्रत्येक 18 ग्राम, इमली के भुनेए बीजों की गिरी, धतूरा के बीज, जायफल, असली वंशलोचन, विशुद्ध एलवा, बढ़िया भीमसेन काफूर प्रत्येक 12 ग्राम, बच, भंग के पत्ते, बढ़िया बंग भस्म प्रत्येक 6 ग्राम। त्रिधातु भस्म 30 ग्राम, विशुद्ध अफीम 2 ग्राम। इस सब दवाओं को अलग-अलग कूट-छान कर मैदे के समान चूर्ण बनायें फिर अफीम को ताजा आंवलों के रस में घोलकर उसमें उपरोक्त चूर्ण को भली-भांति खरल करके 250-250 मि.ग्रा. की गोलियां बना लें। 1-1 गोली प्रातः सायं ताजा जल या गाय के दूध के साथ लें।
गुण- ये गोलियां धातु रोग और स्वप्नदोष के लिए रामबाण हैं। इनके प्रयोग से शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन, सुजाक से पैदा वीर्य प्रमेह और वीर्य प्रमेह के कारण उत्पन्न मर्दाना कमजोरी भी दूर हो जाती है। बहुत सफल योग है।
3. काले बीजबन्द, तालमखाना के बीज, छोटा गोखरू, सुपारी के फूल, धाय के फूल, पिस्ता के फूल, आम के फूल, चुनिया गोंद, बड़ी माई, बबूल की कच्ची फलियां(छाया में सुखाई हुई), कच्चा गूलर(छाया में सुखाया हुआ), सालब मिश्री प्रत्येक 12 ग्राम। इमली के बीजों की गिरी 24 ग्राम। इन सबको कूट-छनकर 178 ग्राम चीनी मिलाकर रख लें। यह चूर्ण 12 ग्राम सुबह के समय गाय के दूध के साथ खायें।
गुण- धातु रोग, प्राॅस्टेटोरिया, स्वप्नदोष, वीर्य का पतलापन और शीघ्रपतन के लिए रामबाण दवा है।
4. सिंघाड़े का आटा 6 ग्राम, माजूफल 6 ग्राम, बबूल का भुना हुआ गोंद 12 ग्राम, सालब मिश्री 12 ग्राम, तालमखाना 12 ग्राम, इमली के बीजों की गिरी 24 ग्राम, ईसबगोल का छिल्का 24 ग्राम, बंग भस्म 3 ग्राम, त्रिधातु(त्रिबंग) भस्म 3 ग्राम। इन सब दवाओं को कूट-छानकर चूर्ण बना लें। अंत में ईसबगोल का छिल्का और भस्में मिलायें। फिर समभाग खांड मिलाकर रख लें। 2 ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध के साथ खायें।
गुण- वीर्य प्रमेह और वीर्य के पतलेपन के लिए बहुत अनुभूत औषधि है।
5. आम के फूल, सुपारी के फूल, धाय के फूल, चुनिया गोंद, मिश्री, मीठी इन्द्रजौ, सफेद मूसली, हरे माजूफल, अनार के फूल, असली मस्तगी प्रत्येक 12 ग्राम, कमरकस, कच्चा केला बिना छिल्का छाया में शुष्क किया हुआ। बकायन के बीजों की गिरी प्रत्येक 9 ग्राम, इमली के बीजों की गिरी 36 ग्राम, सफेद चन्दन का चूर्ण, बंग भस्म 6 गाम- सब दवाओं को कूट कर कपडे़ से छान लें। बराबर खांड मिला लें। 6 से 12 ग्राम यह दवा सुबह-शाम गाय के धारोष्ण दूध से खिलायें।
गुण- वीर्य प्रमेह, वीर्य का पतलापन, स्त्रियों का श्वेत प्रदर(ल्यूकोरिया) में बहुत ही अनुभूत है।
6. बढ़ वृक्ष के कच्चे फल, बढ़ की दाढ़ी, बढ़ की कोपलें प्रत्येक 60 ग्राम को ढाई लीटर जल में उबालें। जब एक चैथाई लीटर जल शेष रह जाये, तो भली-भांति जल छानकर दोबारा पकायें, ऐसे कि शहद की भांति गाढ़ा हो जाये। तब इसमें निम्नलिखित दवाओं का चूर्ण मिला लें- कौंच के बीजों की गिरी, बहुफली बूटी, इमली के बीजों की गिरी(जिसको बढ़ के दूध में गीला करके शुष्क कर लिया गया हो) प्रत्येक 24 ग्राम, सालब मिश्री, भिण्डी की जड़, छोटी दूधी बूटी छाया में शुष्क की हुई, सफेद मूसली, पीली हरड़ का छिल्का, ईसबगोल का छिल्का प्रत्येक 12 ग्राम, असली मस्तगी 6 ग्राम। ईसबगोल के अतिरिक्त शेष सब दवाओं को बारीक पीसकर मिला लें। फिर उसमें बंग भस्म, त्रिधातु भस्म प्रत्येक 9 ग्राम, प्रबाल भस्म 6 ग्राम मिलायें। इसके पश्चात् मीठे बादामों की गिरी, पिस्ते की गिरी प्रत्येक 18 ग्राम, छुहारे 7 दानें पीसकर मिलायें और भली प्रकार घोंट कर जंगली बेर के बराबर गोलियां बना लें। 1 से 2 गोली तब प्रतिदिन सुबह-शाम गाय के दूध के साथ लें।
गुण- वीर्य प्रमेह, मर्दाना कमजोरी, वीर्य का पतला हो जाना और वीर्य की कमी के लिए यह सर्वोत्तम औषधि है।
7. सुपारी के फूल(जिनको तीन बार बढ़ वृक्ष के दूध में गीला और शुष्क कर लिया गया हो), बंग भस्म, मुर्गी के अण्डे के छिल्के की भस्म, त्रिधातु भस्म, प्रबाल भस्म, शुद्ध शिलाजीत प्रत्येक 6 ग्राम, गैलिक एसिड, एक्सट्रैक्स बेलाडोना 3-3 ग्राम- सबको घोंट कर 125-125 मि.ग्रा. की गोलियां बना लें। 1 से 2 गोली सुबह-शाम ताजा जल या गाय के दूध के साथ खिलायें।
गुण- वीर्य प्रमेह, स्वप्नदोष और मर्दाना कमजोरी की रामबाण दवा है।
8. टेस्टो-प्रोपियोनेट 6 ग्राम, धतूरे के पुंकेशर 3 ग्राम, कौंच के बीज की गिरी 4 ग्राम, बंग भस्म 5 ग्राम, त्रिधातु भस्म 6 ग्राम तथा बढ़ वृक्ष के बीज 7 ग्राम- इन सब दवाओं की बढ़ वृक्ष के दूध में भली-भांति खरल करके 25 गोलियां बना लें। 2 गोली रात को सोने से पहले जल से खायें।
गुण- वीर्य प्रमेह, शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, कामेच्छा की अधिकता में परम लाभप्रद है।
Spermatorrhoea Treatment in Hindi
9. मेथिल टेस्टोस्टेरान 10 ग्राम, शुद्ध शिलाजीत, बंशलोचन, छोटी इलायची के बीज और सालब मिश्री प्रत्येक 5 ग्राम- इन सबको खरल में घोंट कर मटर के बराबर गोलियां बना लें। 1 से 2 गोली सुबह-शाम और रात को सोते समय जल से लें।
10. पोटाशियम ब्रोमाइड, हरड़, बहेड़ा, आंवला तीनों की गुठलियां निकाली हुई, गिलोय का सत्व, बंग भस्म, हल्दी चूर्ण, धनिया प्रत्येक 10 ग्राम- इन्हें कूट-छानकर खरल में डालकर बढ़(बरगद) के दूध में, बाद में गिलोय के रस में घोंट कर 250-250 मि.ग्रा. की गोलियां बना लें। एक गोली सुबह और रात को सोते समय जल से खायें।
गुण- वीर्य प्रमेह, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, कामेच्छा की अधिकता में बेजोड़ गुणकारी है।
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