Dhatu Rog Ko Door Karne Ke Liye Ayurvedic Upchar
पौरूष ग्रंथि से तरल स्राव निकलना, धातु रोग, शुक्रमेह
(Prostatorrhea)
परिचय-
पुरूषेन्द्रिय(लिंग, Peins) से पानी जैसा चिपचिपा स्राव निकलना ही इस रोग का परिचायक है।
कारण-
मूत्र मार्ग या गुदा में खराश होना, पाचन संस्थान की गड़बड़ी, अति कामोत्तेजना, कब्ज़, उदर कृमि(पेट के कीड़े), मूत्राशय में पथरी, बार-बार लिंग को सहलाना, अश्लील चित्र देखना, अश्लील साहित्य पढ़ना, अत्यधिक पोर्न देखना इसके मुख्य कारण हैं।
लक्षण-
इस रोग में पुरूष की मूत्रेन्द्रिय से एक प्रकार का चिपचिपा स्राव निकलता है, जिसे भ्रम से लोग वीर्य मान लेते हैं, जबकि यह वीर्य नहीं होता है। यह प्रोस्टेट ग्लैण्ड से स्रावित होने वाला एक प्रकार का स्राव होता है और जिन्हें यह ज्ञात नहीं होता है कि वे निराधार रूप से अपने आपको धातुक्षीणता का रोगी मानकर धीरे-धीरे कमज़ोर होते जाते हैं। मानसिक रूप से प्रभावित होकर क्षमता रहते हुए भी वे अपने आपको संभोग में अयोग्य समझते हैं।
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चिकित्सा-
सर्वप्रथम रोगी से यह पूछें कि वह स्राव किस प्रकार का होता है। यदि संभोग से ठीक पहले ऐसा स्राव होता हो तो रोगी को समझा दें कि यह घातक नहीं है, बल्कि यह स्वाभाविक है। लेकिन ऐसा न होकर संभोग के अतिरिक्त अन्य समय में भी ऐसा स्राव आता है तो चिकित्सा करें। रोगी के यकृत की क्रिया को नियमित करें।
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धातु रोग में उपयोगी घरेलू चिकित्सा-
1. कच्ची हल्दी का रस एवं गुर्चे(गिलोय) का रस प्रत्येक 5-10 मि.ली. शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
2. शतावरी, असगन्ध नागौरी और बिधारा की जड़ तीनों समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर समभाग खाँड मिला लें। 5-5 ग्राम नित्य सुबह-शाम गाय के दूध के साथ दें।
3. खुष्क धनिया 3-6 ग्राम समभाग मिश्री चूर्ण के साथ नित्य रात को दूध के साथ दें।
4. आँवलों का चूर्ण 5 ग्राम समभाग मिश्री चूर्ण के साथ सुबह-शाम गोदुग्ध के साथ दें।
5. हल्दी का चूर्ण 3 से 5 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सेवन करने से सब प्रकार के प्रमेह दूर होते हैं।
6. हरड़ साफ, जिस पर चैमासा न निकला हो, क्योंकि वर्षा ऋतु में काष्टौषधियों के गुण कम हो जाते हैं, कूट-छानकर रखें। यह चूर्ण प्रातःकाल शहद के साथ, एक चम्मच की मात्रा में सेवन करें तथा रात्रि में सोते समय इस चूर्ण को फाँक कर ऊपर से दूध पी जायें। इस प्रकार यह चूर्ण अकेला ही शुक्रमेह पर बहुत काम करता है। हरड़ में निःसारक गुण है, इसलिए रोगी को कब्ज़ भी नहीं रह पाता।
Dhatu Rog Ko Door Karne Ke Liye Ayurvedic Upchar
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7. आँवले के चूर्ण को आँवलों के ही रस में तीन दिन घोंटे और सुरक्षित रखें। यह चूर्ण रसायन गुण वाला होकर सभी प्रकार के प्रमेह रोगों को दूर करता है। इसकी मात्रा एक ग्राम की है, सुबह-शाम शहद के साथ लेनी चाहिए।
8. त्रिफला(हरड़, बहेड़ा, आँवला) का चूर्ण 3 से 5 ग्राम की मात्रा में रोगी का बलाबल देखकर शहद के साथ सुबह-शाम देनी चाहिए। यह भी प्रमेह के सभी लक्षणों को दूर करने में उपयोगी है।
9. छोटी इलायची के बीज और शर्करा समान भाग लेकर चूर्ण बना लें। इसे 1 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करना चाहिए। मधुमेह में इसे न दें, अन्य सभी प्रमेहों में हितकर है। छोटी इलायची का चूर्ण शर्करा के शर्बत के साथ सेवन करने से धातु रोग नष्ट हो जाता है।
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